निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढी हैं- ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’- इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएं लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयू पंख के समान तरंगित हो उठा।

मृतक मोर नीलकंठ को जब लेखिका ने संगम ले जाकर गंगा की बीच धार में प्रवाहित किया तो मोर का शरीर वजनदार होने के कारण पानी में डूब गया होगा। पंख बहुत हल्के होते है इसलिए पंखों की चंद्रिकाएं पानी में फैल गई होंगी। चंद्रिकाओं के फैलने की वजह से ऐसा लग रहा होगा कि गंगा का चौड़ा पाट एक बड़े मोर पंख के समान सभी रंगों से तरंगित हो गया है।


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